पित्र दोष पूजन निवारण और इस पूजन से क्या क्या फल यजमान को प्राप्त होता है मुख्यपितृदोष तीन प्रकार का होता है
1 त्रिपिंडी का पूजन होता है विष्णु लोक के पितरों के लिए सात्विक पिंड अर्पण करते हैं जो उनको विष्णुलोक में प्राप्त होता है ब्रह्मलोक के पितरों के लिए राजसी पिंडअर्पण करते हैं जॉन को ब्रह्मलोक में प्राप्त होता हैऔर रूद्र लोग के पितरों के लिए तामसिक अर्पण करते हैं जो उनको रूद्र लोक में प्राप्त होता है इस पूजन के करने से तीनो लोग के पुत्र संतुष्ट होते हैं और कुटुंब परिवार को अच्छा आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे घर में खुशहाली सुख शांति अ अन्न का धन का लक्ष्मी का भंडार रहता है इस पूजन को अगर कुंडली में दोष नहीं हो तो भी राजी खुशी से भी पितरों की कृपा आशीर्वाद पाने के लिए किया जा सकता है
2 पितृदोष में दूसरे प्रकार से जो पितृदोष होता है जिसको नारायण वली श्राद्ध पूजन कहते हैं यह उन पितरों के लिए होता है जो प्रेत की योनि में भटक रहे होते हैं जो अधोगति में मृत्यु होती है जैसे एक्सीडेंट आत्महत्या सर्प के काटने से करंट से जल में डूब के और अधोगति में जो चले जाते हैं उन पितरों के लिए नारायण बलि का विधान किया जाता है जिससे वह प्रेत की योनि से निवारण होकर पितरों की श्रेणी में आते हैं उनको विष्णु लोक की प्राप्ति होती है
3 पितृदोष का तीसरा विधान यह है यह विधान 3 दिनों का होता है इस विधान का नाम नागवली नारायण वलि है इस विधान में पितरों को सर्प की योनि में बहुत सालों तक भटकना पड़ता है क्योंकि सर्प की आयु बहुत लंबी होती है इस विधान में 3 दिनों तक पूजा होती है यह पूजन किस लिए किया जाता है इस पूजन का मुख्य कारण यह है कि जिस परिवार में संतान आदी उत्पन्न नहीं हो रही हो तथा घर में ग्रह कलेश हो रहा हो इस पूजन करने से संतान इत्यादि का सुख प्राप्त किया जा सकता है इस पूजन की अधिक जानकारी के लिए पंडित जी से कॉल पर चर्चा करें यह विधान पितरों का सबसे बड़ा विधान कहा जाता है
पितृदोष और कालसर्पदोष का सबसे प्राचीन स्थान सिद्धवट घाट है यहीं पर पितरों को मुक्ति प्रदान होती है इसलिए पित्र दोष सिद्धवट घाट पर होता है यहां बैकुंठ द्वार है पितरों को वैकुंठ की प्राप्ति होती है
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