मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है, ऐसा होने पर ऐसे जातक का विवाह भी मांगलिक स्त्री या पुरुष से ही करना चाहिए|
इसी प्रकार शनि देव यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो या दृष्टिगत भी हो तो कुंडली में मांगलिक योग का परिहार हो जाता है, सभी मांगलिक कुंडलियो में मांगलिक दोष हो ऐसा जरुरी नहीं होता है, लोग व्यर्थ में मांगलिक योग सुन के भयभीत हो जाते है, जबकि मंगल ग्रह तो शुभ कार्य, भूमि, ऋणहरता एवं फल प्रदान करने वाले देवता है, कुंडली में मंगल जब ख़राब होता है तब इन्सान , कुछ दोगल होजाता है , और यही कारन है की वहा अपने जीवन में अक्सर सफल होता है, एसा इन्सान मोम की तरह पिघल ता रहता है , या पत्थर की तरह रहकर हमेंशा दूसरो को चौट देता रहता है ,जब जब मंगल को चन्द्र – सूर्य का साथ नहीं मिलता तब वहा नीच का होजाता है नीच का मंगल सब का शत्रु होता है ,जातक धर्म के विरुध काम करता है या करवाता है , फिर ऐसे जातक की म्रत्यु हतियार या किसी लम्बी बीमारी से होतीहै , कुंडली के कुछ बेठे मंगल ख़राब और कुछ बहुत अच्छे भी होते है|
उज्जैन में मंगल भात पूजन इसके आलावा त्वरित उपाय हेतु – मंगल भातपूजन करवाना चाहिए, भात पूजा सम्पूर्ण विश्व में केवल उज्जैन अवंतिका क्षेत्र में होती है, यहाँ स्कंधपुराण में अवंतिका खंड के अनुसार भगवान शिव के मस्तक के पसीने की बूंद पृथ्वी पर उज्जैन अवन्तिका क्षेत्र में गिरने से भगवान श्री महामंगल का जन्म हुआ, भगवान श्री महामंगल अंगार के सामान लालवर्ण वाले रक्ताक्ष, भूमिपुत्र, आदि नामो से जाने जाते है, भगवान श्री महामंगल के मंदिर के शिखर से कर्क रेखा गुजरती है. और ये मंदिर आती प्राचीन है, यहाँ करायी गयी पूजा से मंगल दोष का परिहार होता है|
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